Sunday 23 March 2014







1 comment:

  1. आज समाज में जितना समय पूजा-पाठ, तीर्थ-यात्राओं में दिया जाता है अगर यही समय हम दीन-दुखियों की मदद करने में लगाये तो वह कही ज्यादा अच्छा होगा l ये सब करके भारतीय समाज की बेहतर तस्वीर पेश की जा सकती है l जो पैसा हम मंदिरों में दान करते है उसी पैसे से कितने ही लोगों के दुखों को दूर किया जा सकता है l आखिर हम कैसे उन गरीब-लचार लोगों से मुंह फेर लेते है जो हमारे ही समाज का एक अभिन्न अंग होते है l आप रोज अच्छे-अच्छे पकवान खाये और आप का पडोसी भूख से तड़पे और सुबह होते ही आप भगवान को दूध से नहलाये क्या ऐसा भी कोई धर्म है ? ऐसा तो सिर्फ अंधविश्वास हो सकता है l गरीब होना कोई गुनाह नहीं होता l भले ही सभी धर्मों में किसी न किसी रूप में ईश्वर को पूजते है लेकिन बौद्ध धम्म में मानव सेवा को ही श्रेष्ठ माना है l बौद्ध धम्म में ईश्वर और आत्मा का कोई स्थान नहीं है l इसीलिए कहा गया है कि बौद्ध धर्म से ही संसार का उद्धार किया जा सकता है l
    जय भीम नमो बुद्धाय

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